Thursday, July 26, 2018

इंग्लिश विंग्लिश

मार्च के दूसरे शनिवार 10.03.2018 को , विश्व संवाद केंद्र पटना ,बिहार में “पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी” की तरफ से दिवगंत श्रीदेवी जी को श्रद्धांजलि देते हुए , फ़िल्म “इंग्लिश विंग्लिश” का प्रसारण किया गया । यह फ़िल्म वर्ष 2012 को 5 अक्टूबर को रिलीज़ हुई थी । इस फ़िल्म के जरिये श्रीदेवी जी ने अपनी फिल्मी पारी का आगाज़ दुबारा शुरू किया था । पंद्रह साल के बाद पर्दे पर आना और बस छा जाना यह कला सिर्फ श्रीदेवी को ही आता था ।
Image may contain: 6 people, people smiling, people sitting
फ़िल्म को निर्देशित किया है गौरी शंकर ने । एक ऐसी फ़िल्म जिसे देखते वक़्त आपका दिमाग भारी नहीं लगेगा । एक हल्की - फुल्की फ़िल्म अपने दर्शकों को बाँध कर रखने में सफल हुई है । और इसे सफल बनाया है श्रीदेवी जी ने अपने उत्कृष्ट अभिनय के बदौलत । फ़िल्म में जो मुद्दा उठाया गया है , वह आज के समय में बहुत बड़ा मुद्दा है । हम भाषा के लिए बने है , या भाषा हमारे लिए बना है ?
अगर आज के दौर में खासकर भारत में आपको अगर इंग्लिश ( अंग्रेजी ) नहीं आती , तो आप बेकार है । इसी चीज़ को एक गृहणी के नज़रिए से दिखाया गया है । जिसे सिर्फ इंग्लिश न बोल पाने के कारण अपने बच्चों से भी जलील होना पड़ता है । उन सभी व्यक्तियों का घुटन इस फ़िल्म में श्रीदेवी ( शशि ) के उस संवाद से पता चलता है , जब वह कहती हैं - सभी इम्पोर्टेन्ट बातें तो इंग्लिश में ही होती है ।
सेकंड हाफ में फ़िल्म सकारात्मकता की और बढ़ती हुई दिखाई देती है । इंग्लिश की ट्यूशन क्लास के दिखाए गए दृश्य आपको अपने किसी ट्यूशन क्लास की याद जरूर दिला देगी । वह फ्रेंच लड़के का शशि के तरफ आकर्षित हो जाना , कहीं से भी आपको यह नहीं लगेगा यह गलत हो रहा है । वह दोस्ती की ऐसी भावना है जिसे परिभाषित नहीं की जा सकती ।
बॉलीवुड फिल्मों में क्लाइमेक्स से पहले एक एन्टी क्लाइमेक्स दृश्य जरूर होते है । इस फ़िल्म शशि के हाथों लड्डू की ताली का गिरना वही एन्टी क्लाइमेक्स दृश्य है ।
सबसे मजेदार वह दृश्य है , जब वह फ्रेंच लड़का फ्रेंच भाषा में औऱ शशि हिंदी में बात करती है । यहाँ एक चीज़ समझने के लिए है , जब दिल की बात समझनी हो तो वहाँ भाषा की दीवार मायने नहीं रखती है ।
अमिताभ बच्चन जी का गेस्ट अपेरेंस है । वह अपने दृश्यों में काफी अच्छे हैं ।
यह फ़िल्म क्यों देखनी चाइए ?
पहला , श्रीदेवी के अभिनय के लिए ।
दूसरा , अमेरिका में एक इंग्लिश न बोल पाने वाले व्यक्ति के दर्द को अपने में महसूस करने के लिए ।
तीसरा , अपने भाषा पर गर्व करने के लिए ।
।।।
मेरे तरफ से फ़िल्म को 4 स्टार
समीक्षक - अभिलाष दत्ता

No comments:

Post a Comment