Thursday, July 26, 2018

तुम मिलों तो सही

साल 2018 के पहले शनिवार , दिनांक 06|01|2018 को , “विश्व संवाद केंद्र” में “पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी” के तरफ से बॉलीवुड फिल्म “तुम मिलों तो सही” ( 2010 ) का प्रसारण किया गया । फ़िल्म के मुख्य किरदार में नाना पाटेकर , डिंपल कपाड़िया थे । साथ में सुनील शेट्टी भी इस फ़िल्म में है ।
यह फ़िल्म विशुद्ध बॉलीवुड फ़िल्म की तरह है । बड़े - बड़े महानगरों के दर्शक इस फ़िल्म को खुद के जीवन से जोड़ कर जरूर देख सकते हैं । पर छोटे शहर के लोगों को यह फ़िल्म उतनी पसन्द नहीं आएगी 
फ़िल्म की कहानी का केंद्रीय बिंदु है “लकी कॉफी कैफ़े” , जिसकी मालकिन दिलशाद ईरानी ( डिंपल कपाड़िया ) रहती है । फ़िल्म के सभी किरदार एक - एक कर के उस कॉफ़ी कैफ़े में टकराते है , और कहानी आगे बढ़ती रहती है । छोटे शहरों में कैफ़े के जगह “टपरी” होती है । वैसे यह कहानी की पृष्ठभूमि मुम्बई की है । तो महानगरों के लोग कैफ़े जैसी जगहों पर जा कर कुछ पल चैन के गुजारते हैं । फ़िल्म में नाना पाटेकर ने एक ऐसे इंसान का अभिनय किया है , जो अपने जीवन में अकेला है । पर धीरे - धीरे उस कॉफी कैफ़े में जाने के बाद उसके अंदर का सख्त इंसान भी पिघलता है । यह चीज़ दर्शकों को पसंद आएगी ।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है , जब उस कॉफ़ी कैफ़े के असली मालिकाना हक की बात आती है । क्योंकि एक मल्टी नेशनल कॉम्पनी उस कॉफी कैफ़े को खरीदना चाहती है ।
फ़िल्म में नाना पाटेकर और डिंपल कपाड़िया के बीच फिल्माए गए दृश्यों पर चेहरे पर मुस्कान लाती है । एक ऐसी दोस्ती उम्र के उस पड़ाव पर फ़िल्म में देख कर अच्छा लगता है ।
कुछ और भी किरदार इस फ़िल्म में है , जिनका काम केवल फ़िल्म को आगे बढ़ाने के लिए औऱ गीत - संगीत के लिए है ।
निर्देशन मैं इतनी जान नहीं थी । काफी जल्दी - जल्दी दृश्य को समेटने की कोशिश की गई है । यह पूरी फ़िल्म को अगर आप किसी उपन्यास में पढ़ियेगा तो ज्यादा सकून मिलेगा , क्योंकि उपन्यास में दृश्य इतने जल्दी - जल्दी नहीं भागते हैं ।
कुल मिला के फ़िल्म ऐवरेज है । आप इसे टाइमपास के लिए देख सकते है ।
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मैं इस फ़िल्म 3.5 स्टार दूँगा । असली में यह फ़िल्म 3 स्टार के लायक है , लेकिन नाना पाटेकर अपने दृश्यों में दिल लूट जाते है ।।
समीक्षक - अभिलाष दत्ता   
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