
मनुष्य रूपी जीवन सतत सीखने की प्रक्रिया है । जिस पल हमारे अंदर से सीखने की ललक खत्म हो जाती है । उसी पल से यह मनुष्य जीवन “अर्थहीन” हो जाता हैं ।
हम वर्तमान में जीते हैं । वर्तमान सही अर्थ में बस एक क्षण भर होता है । दूसरे ही क्षण में वह भूतकाल में तब्दील हो जाता है । और भूतकाल में घटित घटना से ही हम सीखते हैं , और इसी को अनुभव कहते हैं ।
पिछले दिनों व्हाट्सएप्प पर एक बड़ा अच्छा सा संदेश प्राप्त हुआ था । वह कुछ इस प्रकार का था ...
“ सफलता की कहानियाँ मत पढ़ो उससे आपको केवल एक संदेश मिलेगा।
असफलता की कहानियाँ पढ़ो उससे आपको सफल होने के कुछ विचार मिलेंगे । ”
यह संदेश सार्थक भी लगी , थोड़ी हँसी भी आई । लिखने वाले की मनोदशा के हिसाब से हमें असफलता की कहानियाँ ज्यादा पढ़नी चाहिए । मेरी सोच में यह बिल्कुल गलत बात है । हमें दोनों तरह की कहानियाँ जरूर पढ़नी चाहिये । यह दोनों ज्ञान के स्त्रोत हैं , दोनों से हमारे जीवन में कुछ न कुछ जरूर सीखने को मिलेगी ।
सफलता या असफलता जीवन का दूसरा पहलू । वह एक अलग विचार - विमर्श का विषय है । पर इस कारण से हम सफलता की कहानी पढ़ना छोड़ दे , यह अनुचित होगा । कुछ न कुछ सीखने को हमें सभी जगह से मिलता है ।
आज एक शिशु , पहली बार चलना सिख रहा है । चलने के दौरान वह हज़ारो बार गिरेगा । पर वह फिर भी चलना नहीं छोड़ेगा , न ही उसके घर के लोग उसको चलने से रोकेंगे । ठीक उसी तरह ,जीवन में हमारे सामने अनेक कठिनाई जरूर आएगी । हम उसका सामना करेंगे , इससे हमारा अनुभव और मजबूत होगा । यह सीखने की प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहती है ।
आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है , इस पत्रिका का नाम हमारी समूह ने “अनुभव” रखने का निश्चय किया है । समूह के सभी सदस्यों का मानना है , हम इस कार्य से कुछ न कुछ जरूर सीखेंगे ।
तो आप सभी इस पत्रिका को देखिए - पढ़िए। यह आपके ज्ञान वृद्धि का काम करेगा । ज्ञान वृद्धि का ही पर्यायवाची शब्द अनुभव होता है ।
हम वर्तमान में जीते हैं । वर्तमान सही अर्थ में बस एक क्षण भर होता है । दूसरे ही क्षण में वह भूतकाल में तब्दील हो जाता है । और भूतकाल में घटित घटना से ही हम सीखते हैं , और इसी को अनुभव कहते हैं ।
पिछले दिनों व्हाट्सएप्प पर एक बड़ा अच्छा सा संदेश प्राप्त हुआ था । वह कुछ इस प्रकार का था ...
“ सफलता की कहानियाँ मत पढ़ो उससे आपको केवल एक संदेश मिलेगा।
असफलता की कहानियाँ पढ़ो उससे आपको सफल होने के कुछ विचार मिलेंगे । ”
यह संदेश सार्थक भी लगी , थोड़ी हँसी भी आई । लिखने वाले की मनोदशा के हिसाब से हमें असफलता की कहानियाँ ज्यादा पढ़नी चाहिए । मेरी सोच में यह बिल्कुल गलत बात है । हमें दोनों तरह की कहानियाँ जरूर पढ़नी चाहिये । यह दोनों ज्ञान के स्त्रोत हैं , दोनों से हमारे जीवन में कुछ न कुछ जरूर सीखने को मिलेगी ।
सफलता या असफलता जीवन का दूसरा पहलू । वह एक अलग विचार - विमर्श का विषय है । पर इस कारण से हम सफलता की कहानी पढ़ना छोड़ दे , यह अनुचित होगा । कुछ न कुछ सीखने को हमें सभी जगह से मिलता है ।
आज एक शिशु , पहली बार चलना सिख रहा है । चलने के दौरान वह हज़ारो बार गिरेगा । पर वह फिर भी चलना नहीं छोड़ेगा , न ही उसके घर के लोग उसको चलने से रोकेंगे । ठीक उसी तरह ,जीवन में हमारे सामने अनेक कठिनाई जरूर आएगी । हम उसका सामना करेंगे , इससे हमारा अनुभव और मजबूत होगा । यह सीखने की प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहती है ।
आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है , इस पत्रिका का नाम हमारी समूह ने “अनुभव” रखने का निश्चय किया है । समूह के सभी सदस्यों का मानना है , हम इस कार्य से कुछ न कुछ जरूर सीखेंगे ।
तो आप सभी इस पत्रिका को देखिए - पढ़िए। यह आपके ज्ञान वृद्धि का काम करेगा । ज्ञान वृद्धि का ही पर्यायवाची शब्द अनुभव होता है ।
आपका अपना
अभिलाष कु० दत्त
( संपादक )
अभिलाष कु० दत्त
( संपादक )
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