Thursday, July 26, 2018

बेचैन बंदर ( पुस्तक समीक्षा )


जिस दिन यह किताब मेरे यहाँ dtdc के डिलीवरी वाले ने ला कर दी , उस वक़्त मैं मोबाइल में “दिल्ली बेल्ली" नामक फ़िल्म देख रहा था । फ़िल्म में वह दृश्य चल रहा था जब फ़िल्म का खलनायक “विजय राज" नकली पार्सल का डिब्बा खोल कर अपने सामने रखता है । मैं भी किताब का पार्सल खोल चुका था ।
तभी फ़िल्म के दूसरे दृश्य में खलनायक का साथी बोलता है - “भाई यह तो टट्टी है” ....


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यह दृश्य फ़िल्म के लिए बनी थी , पर संजोग देखिए यह बात उस समय मेरे लिए भी उतनी ही उचित थी , जितनी विजय राज जी के लिए । सही मायने में किताब टट्टी है ।
मैं कभी कोई किताब की बुराई नही करता हूँ , क्योंकि एक किताब लिखने में कितनी मेहनत लगती है यह मुझे पता है । इसलिए यहाँ किताब की आलोचना नहीं होगी , यहाँ लेख़क की आलोचना होगी । दुनिया के महान लेख़क , स्टीफन हाकिंग के गुरु श्री श्री “विजय सिंह ठाकुराय” । पड़ गए न चक्कर में , यह उनका छद्म नाम है । यह नाम कहाँ से आया है सबको पता है । किताब पर कुछ और ही नाम है , “विजय राज शर्मा” उर्फ झकझांकिया । लेख़क महोदय ने जो मार्केटिंग की उसके लिए वह सही में बधाई के पात्र है । अकेला आदमी पूरे भारत के अच्छे से अच्छे लेखको और पाठकों की आँखों मे धूल झोंकने में सफल रहा । सफलता का अंदाज़ा इसी से लगा के देखिए , 5000 प्रतियां खुद के दम पर छपवाना और अपना पूरा का पूरा कचरा बेच देना , यह सही में काबिलेतारीफ है ।
भारत में लोगों को दिग्भ्रमित करना हो तो सबसे आसान तरीका है , उस वस्तु का दाम आसमान पर रख दो । 248 पेज की किताब का दाम 650 रुपुए । लेने के बाद आप खुद को ठगा हुआ महसूस कीजियेगा । पूरे सेट में केवल वह कलम ही आकर्षित करते नज़र आती है ।
यह किताब क्यों न पढ़े :-
क्योंकि हमने 11th - 12th में विज्ञान पढ़ा है । अगर आप इसे हिंदी भाषा का साइंस फिक्शन समझने की भूल में है तो आप मेरी तरह ठगी के शिकार होने के लिए तैयार रहिये । यह कुल मिला कर विज्ञान की किताब हिंदी में लिखी है और कुछ नहीं ।
किताब स्टार देने के लायक भी नहीं है ।


अभिलाष दत्ता

6 comments:

  1. ये लेखक विजय सिंह ठकुराय फिजिक्स को मात्र T.V. Serials जैसे कि Through the wormhole, Cosmic Collision,Ancient Aliens से ही पढ़े हुये हैं और इन्ही का सस्ता हिंदी अनुवाद कर पाठकों को प्रस्तुत कर देते हैं।

    ...अनुवाद करना कोई बुरी बात नहीं,...मगर 1000 रूपए किसी सस्ती अनुवादी- कृत किताब के??...इतना तो ओरिजिनल थॉट्स वाली विज्ञान-पुस्तकों का भी नहीं है।

    फिजिक्स आधारभूत- रूप से Higher Mathematics है। क्वांटम फिजिक्स के सिलसिले में तो यह पूर्णरूपेण Higher Maths ही है।...और इन महान अहंवादी,घमंड की पराकाष्ठा पार किये हुये लेखक श्री विजय सिंह ठकुराय की गणित में हालत ये है कि 12th Class की कैलकुलस का आसान प्रश्न भी दे दो तो इन्हें दिन-भर लगता है, google की सहायता से सॉल्व करने में।
    ...Clerical level के कम्पटीशन ये कभी पास नहीं कर पाये, IIT या बड़े Scientific Institution की बात तो बहुत दूर की है।

    इस लेखक और इस पुस्तक ने विज्ञान और विज्ञान की शिक्षा को हास्यास्पद रूप से फंतासी और गूगलीकरण तक ही सीमित समझ लिया है, ऐसा लगता है।

    ...और विज्ञान की इस अत्यंत सीमित समझ के साथ ये सनातन धर्म के विभिन्न गूढ़ आयामों को, अपने घमण्ड-भरे अनर्गल तर्कों से, बकवास सिद्ध करने का प्रयास करते रहते हैं।

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  2. मेरे पूर्व के कमेंट में लिखा नाम विजय सिंह ठकुराय, इस पुस्तक में प्रकाशित नाम विजयराज शर्मा का ही फेसबुकी नाम है। ये फेसबुक पर विजय सिंह ठकुराय के नाम से सक्रिय हैं। इनके फेसबुक अकाउंट के फोटो व आर्टिकल्स से confirm किया जा सकता है।...अब इस fraudster का असली नाम क्या है, भगवान् ही जानें।

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    1. अब आपकी जली होगी जब इस किताब के लिए अमित शाह के द्वारा विजयराज को परुस्कार मिला।

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  3. अब तो आप पर पक्का FIR होगी । ऐसी महान किताब और उसके महान लेखक की आलूचना ।
    समयपुर बादली थाना आपका इंतजार कर रहा है ।

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  4. कल विज्ञान भवन में गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित राजभाषा पुरस्कार कार्यक्रम में भारत के गृह मंत्री माननीय श्री अमित शाह द्वारा विजय सिंह ठकुराय भाई की पुस्तक "बेचैन बन्दर" को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पुस्तक के रूप में सम्मानित किया गया ... हर वर्ष कार्यक्रम में राष्ट्रपति जी भी मौजूद रहते हैं पर इस वर्ष विदेश में होने के कारण वे इस कार्यक्रम से अनुपस्थित थे ... इस प्रोग्राम में अमित शाह जी के अलावा कई अन्य नेता, मंत्री, कवि, विद्वान, डिप्लोमेट्स आदि उपस्थित रहे ... इसका प्रसारण नैशनल चैनल पर हुआ, इसके अलावा कई और चैनलों तथा अखबारों ने भी इसे कवर किया। ...

    लोग लंबी पोस्ट देख जहाँ आधी पोस्ट से गायब हो लेते हैं वहाँ लोगों को अपनी किताब पढवा देना इनके कौशल को दर्शाता है ... मैं किताब लिखूँगा और लोग खरीदकर पढेंगे यह विश्वास रखना भी हर किसी के बस की नहीं ...



    2018 में जब यह किताब यह ला रहे थे तो बेवजह कुछ निठल्लों द्वारा ईर्ष्या और कुंठा की वजह से बिना सिर पैर का विरोध किया गया था ... आप सब को वह दौर याद होगा ... आप भी इनके पक्ष या विपक्ष में रहे होंगे ... किताब के विषय को लेकर, किमत को लेकर बेवजह का विरोध ... ऐसे वक्त मुझे सिर्फ यह नजर आया कि एक व्यक्ति कुछ कर रहा है और लोग बेवजह उसके पिछे पड़े हैं ... बस यही एकमात्र वजह थी विजय भाई का समर्थन करने का ... ना तो वह उस समय मेरे बहुत अच्छे कोई मित्र थे ना ही वह मेरे घर आटे की बोरी पहूंचा रहे थे ...

    मेरा उनको समर्थन करना कुछ लोगों को बहुत खल गया ... उसके बाद न सिर्फ विजय बल्कि जो भी उनके पक्ष में बोलता उन्हें कुत्तों की तरह झूंड बनाकर घेर लेते ... गालियाँ देते ... परिवार को बीच में लाते ... नीचता की सारें हदें पार कर दी थी ... उसके बाद क्या क्या हुआ वह तो सब सार्वजनिक है ही .. लेकिन आज मुझे गर्व है कि मैंने उस वक्त विजय का पक्ष लिया था ... मैं भीड़ देखकर नहीं अपने विवेक के आधार पर पक्ष लेता हूँ ... आज विजय भाई जिस मुकाम पर हैं वह देख कर मुझे बहुत खुशी हुई ...

    विजय भाई तो वहाँ पहूंच गये लेकिन जो उस वक्त गालियाँ देनें ... विरोध करने ... फेक ID's से रात रात भर जागकर कुंठा में डुबे चुड़ीयाँ तोड़ रहे वह आज क्या कर रहे हैं? ... वह कुत्ते की तरह मूँह उठाये विजय भाई की तरफ देख रहे हैं ... और सोच रहे हैं जरूर इसने जुगाड़ से पुरस्कार पाया है. .. आज भी आप इनकी कभी वॉल पर जाइये यह मंदबुद्धी आज भी किसी न किसी को गाली देते, किसी न किसी को ट्रोल करते, किसी न किसी से लड़ते झगड़ते ही दिखेंगे ... यह आज भी वहीं सड़ रहे हैं ... बहुत से उस दौर के मित्र जो इनके साथ खड़े थे आज आकर कहते हैं अभिनव भाई आप सही थे ...

    किसी भी विषय पर आप कौन सा पक्ष चुनते हो यह बताता है कि आपका कितना मानसिक विकास हुआ है ...

    हजारों की भीड़ से प्रभावित हुये बिना भी सही को सही और गलत को गलत कहने लायक विवेक होना चाहिये ...

    आपका चयन आपकी औकात बताता है ...

    आपके बच्चे होंगे ... भतीजें होंगे ... दिल पर हाथ रखकर कहीये ... आप उन्हें किसके जैसा देखना चाहते हैं? .. यहाँ गाली गलौज करते, लड़ते झगड़ते, ट्रोलर बना हुआ कोई जानवर देखना चाहता हो या विजय सिंह ठकुराय की तरह बनते देखना चाहते हो????

    आप के पास ही जीवन में अगर मात्र सिर्फ दो विकल्प हो कि या तो विजय बन जाओ अथवा गालीबाजों का मसीहा बने किसी "फलाने ढिमाके" का पालतू शुटर/दरबारी/कुत्ता बन कर हर किसी पर भौंको?

    क्या बनना चाहोगे????

    खैर। ऐसे शुभ मौके पर यह सब छोटी बातें नहीं करनी चाहिये, लेकिन क्या करें, शायद यही उचित समय आइना दिखाने का।

    विजय भाई को पुनः बहुत बहुत बधाई !!!

    और विजय भाई की आने वाली पुस्तक "महामानव" की ढेरों शुभकामनाएँ !!!

    और पूरा विश्वास की महामानव अगली बार प्रथम पुरस्कार जीते।

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  5. मुझे ये किताब चाहिए ।

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